मधु मालती छंद 2212 2212 नारी बड़ी महान
मधु मालती छंद
2212 2212
नारी बड़ी महान
नारी कहे जीना नहीं,
आहों भरी चाहे रही,
पूजी गयी ,देवी बनी,
कैसे जिये ,पीड़ा सनी।
बोली नहीं ,रोती रही,
भोली बड़ी,नारी सभी।
दासी नहीं, नारी कभी,
पूरा करो,वादा अभी।
है साधना ,है कामना।
नारी तुझे है चाहना।
तोड़ो नहीं है थामना
जोड़ों दिलो को साजना।
हे भामिनी,हे तारिणी,
हे रागिनी,हे कामिनी।
हे साधिका,हे राधिका,
हे पालिका , हे मालिका।
नारी सहारा आपका,
होती ठिकाना भाव का।
माता बनी नेहा पगी,
ज्ञानी बड़ी,दाता लगी।
नीलम व्यास’ स्वयमसिद्धा’