सारस छंद
सारस छंद
2112 2112 ,2112 2112
नेह करो मन
सागर की बूंद कहे,प्यार करो पावन सा।
जीवन प्यारा सपना ,नेह भरा ये कलशा।
पागल होता मनवा ,पाकर साथी तुमको।
भाव भरा काव्य रचा,औरत पीती गम को।
बाँह भरो साजन जी,राह तकू आवन की।
छूकर जाओ मन को,प्यास मिटाओ मन की।
प्रेम पिया मोह लियो,सावन भाया मनवा।
आह भरे नैन लड़े,आग लगी है तनवा।
नीलम व्यास ‘स्वयमसिद्धा’