वो फिर कश्ती की तरह ‘घिर गई सम्मान शब्दो के तुफान मे!
वो फिर कश्ती की तरह ‘घिर गई सम्मान शब्दो के तुफान मे!
जो रोज गालियाँ देते रहे उसे ‘वो कमबक्त भी कसीदे पङ रहे उसके सम्मान मे!
आज महिला दिवस हे ‘उसको दबाया जा रहा तारिफो के ऐहसान मे!
ये परिवर्तन सिर्फ आज ही क्यो ‘साधु का चरित्र नजर आता जाने क्यो शेतान मे!
नर्क मे धकेलना होतो ‘स्वर्ग का विग्यापन दिखाया जाता हे ‘ये तमाशे अक्षर होते हे अपने हिन्दुस्तान मे!