जब मिले हम सांवरे से तकदीर ही बदल गई माधव मेरे घर की सूरत और तस्वीर बदल गईं

जब मिले हम ………….

जब मिले हम सांवरे से तकदीर ही बदल गई
माधव मेरे घर की सूरत और तस्वीर बदल गईं

कैसे भूलूं में उपकार पाकर ये अमूल्य जीवन
तुम्हारे स्मरण के सिवाय दीखें नहीं कोई धन

देना स्व चरण में शरण हे दरिद्रों के नारायण
मेरा यह मन अलि रहे चरण पुष्पों में परायण

जीवन ज्योति ये सदा स्नेह से सिंचित रखना
लेकर परीक्षा नाथ कभी दास को न परखना

मैं तो अज्ञानी हूँ स्वामी सफल न हो पाऊंगा
तुम्हारे समक्ष शर्मिंदगी से सिर न उठाऊंगा

गिर जाऊँ न तुम्हारी नज़रों से कुन्जबिहारी
निज कृपा का पात्र मुझे बनाये रखना मुरारी।

सत्यप्रकाश पाण्डेय

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