नहीं कुछ साथ लाये हम, नहीं कुछ साथ जाना है । साँस चलती रहे जबतक, हमें रिश्ता निभाना है ।।
🌹 *माँ शारदे को नमन* 🌹
*स्वतंत्र काव्य सृजन दिवस*
दिनांक- 07/03/2021
दिन — रविवार
विषय – 🌹 *पर्यावरण* 🌹
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नहीं कुछ साथ लाये हम, नहीं कुछ साथ जाना है ।
साँस चलती रहे जबतक, हमें रिश्ता निभाना है ।।
कमाने के लिए धन को, करते *विकास* की बातें,
साथ ही याद रखना तुम, हमें *कुदरत* बचाना है ।।
बहुत ही खुश रहे तब हम, न मोबाइल न टीवी थी,
चले हम राह पर पैदल, न मोटर कार अपनी थी,
अपने हाथों से घर को, सदा हमको सजाना हैं ।
संग में बैठकर हमको, रोटी भी तो खाना है ।।
साथ ही याद रखना तुम, हमें *कुदरत* बचाना है ।।
उन्ही खेतों की जमीं पर, कल-कारखाने बनाये,
धुआँ उगलती है चिमनी, साँस जिनमें न ले पायें,
मांग बढ़ती रही अपनी, काटते जा रहे जंगल,
एक ही ध्येय है अपना, बहुत पैसा कमाना है ।
साथ ही याद रखना तुम, हमें *कुदरत* बचाना है ।।
मशीनों का करे प्रयोग, हमें आराम मिलता है,
दोहन करते धरती का, सदा ईनाम मिलता है,
जीवन में भर रहा धुआँ, इसे *विकास* नहीं कहते,
*पर्यावरण* न हो दूषित, इसको स्वच्छ बनाना है ।
साथ ही याद रखना तुम, हमें *कुदरत* बचाना है ।।
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✒️ *राजकुमार छापड़िया*
मुंबई, महाराष्ट्र। 🙏🙏