खतों का इंतजारअब सपना हो गया, उलझनों का हल मोबाइल अपना हो गया,
विधा:-मुक्तक
*मोबाइल*
खतों का इंतजारअब सपना हो गया,
उलझनों का हल मोबाइल अपना हो गया,
आज मोबाइल जीवन मे इस कदर उतरा,
बच्चों का सहज अब पलना हो गया।
मोबाइल आजकल खिलौना हो गया,
बच्चों का बचपन मोबाइल में खो गया,
तकनीकी का प्रभाव इतना है बढ़ गया,
आज आदमी बेमोबाइल अपंग हो गया।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
कानपुर नगर