हे कैलाशी, हे अविनाशी
✍️✍️✍️शिव भजन ✍️✍️✍️
हे कैलाशी,
हे अविनाशी l
हे करुणाकर,
घट घट वासी ll
सुनलो भक्त – पुकार l
करूँ मै विनती बारम्बार ll
तुमसे आस लगी है भोले,
आकर करो सहारा l
जब जब बीच भँवर में नैया,
प्रभु ने सदा उबारा ll
हे प्रलयंकर,
हे शिव शंकर l
हे गौरी पति,
हे नागेश्वर ll
स्वामी जग – आधार l
करूँ मै विनती बारम्बार ll
तुम बिन कौन जगत में मेरा,
करो दीन पर दाया l
सिर पर हाथ रखो परमेश्वर ,
दो सनेह की छाया ll
हे त्रिपुरारी,
डमरू धारी l
तुम सा नहीं,
और उपकारी ll
आप विश्व सरकार l
करूँ मै विनती बारम्बार ll
ग्राम कवि सन्तोष पाण्डेय “सरित” गुरु जी गढ़ रीवा (मध्यप्रदेश) 8224913591 /8889274422
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