नरसिंह जगें,भरें हुंकार, आके जग,पापी को मारें।
🥀तंत्री छंद🥀
(8-8-6-10)
(जग कल्याणार्थ)
1-
नरसिंह जगें,भरें हुंकार,
आके जग,पापी को मारें।
प्रहलाद भक्त,हुए खुशहाल,
दुख हारी, दानव को तारें।।
पान सुपाड़ी,संग नारियल,
प्रेम भेंट,पद पंकज लाई।
माला मनकी,हरि को भाती,
ईश्वर ने,जग शान सजाई।।
2-
आओ मेरे,नर सिंह वीर,
तेरे बल,का हमें सहारा।
राक्षस पापी,भूत भगाते,
रोग जाल,दो काट हमारा।।
गुरु रज लेके,दर पर आए,
जंत्र मंत्र,के अधिक सताए।
छंद शक्ति है,तेज तुम्हारा,
भक्त जनों,के हृदय समाए।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश