कण कण हरि लख,गुरु गुण फल चख, तन मन सुध रख,हरि जन जन में।

🥀जन हरण घनाक्षरी🥀
8-8-8-7
(30 वर्ण लघु अंत गुरु से)
1-
कण कण हरि लख,गुरु गुण फल चख,
तन मन सुध रख,हरि जन जन में।
रघुवर जन भज,मल सिर पद रज,
अवगुण जन तज,प्रभु तन मन में।।
सुर नर मुनि जन,उर सज्जन जन,
भटकत जन जन,सुध मनहर में।
कर अब सुमरन,हम सब हरि जन,
प्रभु सब सुख धन,दिल सुखकर में।।
2-
तप कर तप कर,जप कर जप कर,
हरि पग रुक कर,दुख हर भजले।
हट मत कर अब,जप हरि मुख अब,
भव सरि तर अब,हरि पद रज ले।।
गुण कर गुण गह,हरि पग जन रह,
सुख दुख सब सह,रघुवर कहले।
हर पल हलचल,हरि भज पल पल,
इस दल उस दल,जन दल बदले।।
3-
तन लख गिरधर,हरि पग सिर धर,
लख कर विष धर,अब मन धरले।
दिनकर हरि सुन,मनहर प्रभु गुन,
धर दिल हरि धुन,सब दुख हरले।।
रवि हरि शशि हरि,सुख हरि दुख हरि,
जल हरि थल हरि,सुमरन करले।
प्रभुपग रज धन,रख तन अब जन,
सुखमय तन मन,धन दिल धरले।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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