11वीं भारत-यूरोपीय संघ संवाद में आज अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को लेकर चर्चा हुई

11वीं भारत-यूरोपीय संघ संवाद में आज अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को लेकर चर्चा हुई

11वीं भारत-यूरोपीय संघ मैक्रो-इकॉनमिक (अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को लेकर) संवाद आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित हुआ। इस अवसर पर आर्थिक मामलों के सचिव श्री तरुण बजाज ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूरोपीय आयोग के आर्थिक और वित्तीय मामलों (ईसीएफआईएन) के महानिदेशक श्री मार्टेन वेरवे ने किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व विभाग और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे।

भारत-यूरोपीय संघ संबंध एक बहुपक्षीय साझेदारी के रूप में विकसित हुए हैं। आज इसमें राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा, व्यापार और निवेश, पर्यावरण, अनुसंधान और इन्नोवेशन जैसे सभी आयाम शामिल हैं। यूरोपीय संघ, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। वह भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। जो प्रौद्योगिकी, इन्नोवेशन और सर्वोत्तम कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

आज के संवाद में दोनों पक्षों ने जहां अपने अनुभवों को साझा किया बल्कि जी-20 के साथ साझेदारी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है। इसके तहत वित्तीय मामले, जी-20 के फ्रेमवर्क के कार्यकारी समहू के कार्य, जी-20 एक्शन प्लान, कर्ज संबंधित मुद्दें और डिजिटल अर्थव्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली पर भी चर्चा की गई।

इसके अलावा राजकोषीय नीति के असर और मध्यम अवधि की वित्तीय / संरचनात्मक सुधार की प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की गई। भारत ने कोविड संकट और उसके प्रभाव से अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अपनी नीतियों को भी साझा किया। जिसमें भारत सरकार द्वारा टीकाकरण संबंधित प्रयासों के साथ-साथ राहत पैकेज की जानकारी भी शामिल हैं। यूरोपीय संघ के देशों ने भी कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के कारण आर्थिक चुनौतियों और उससे अर्थव्यवस्था पर होने वाले असर के बारे में जानकारी दी, जिसमें आर्थिक नीतियों का असर, नीतियों का अशर और यूरोपीय संघ के अर्थव्यवस्था के पटरी पर लाने की योजना भी शामिल है।

वार्ता इस उम्मीद के साथ संपन्न हुई कि दोनों पक्ष. द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने और गहरे संबंध बनाने के कदम उठाएंगे। जिसमें दोनों पक्षों के पारस्परिक हित शामिल होंगे।

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