आइए खुद को टेक्नोग्राही के रूप में शामिल करें और एक नए भारत का निर्माण करें: दुर्गा शंकर मिश्रा

आइए खुद को टेक्नोग्राही के रूप में शामिल करें और एक नए भारत का निर्माण करें: दुर्गा शंकर मिश्रा

एनरोलमेंट मॉड्यूल एलएचपी से संबंधित विभिन्न कार्यों के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए डेटाबेस के रूप में कार्य करेगा

जीवन यापन में सुगमता और कारोबार में सुगमता को बढ़ाएंगे- परियोजनाएं नागरिकों को सर्वोत्तम निर्माण सुविधाएं देगी

एनएवीएआरआईटीआईएच (नई, सस्ती, वैध, भारतीय आवास के लिए अनुसंधान नवाचार प्रौद्योगिकी) – अभिनव निर्माण प्रौद्योगिकी पर सर्टिफिकेट कोर्स की शुरूआत

विशिष्ट प्रौद्योगिकी का उपयोग सीखने में टेक्नोक्रेट्स का मार्गदर्शन करने के लिए राज्य विशिष्ट एलएचपी पुस्तिकाएं, सूचना का आदान-प्रदान और एलएचपी को प्रोत्‍साहन

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्राने टेक्नोग्राहियों से आग्रह किया है कि वे नये भारत के निर्माण के संवाहक बनें। उन्होंने छात्रों, तकनीशियनों, प्राध्‍यापकों, निर्माण एजेंसियों, केन्‍द्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों, हितधारकों और अन्य लोगों को भी कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। एमओएचयूए में सचिवने कहा, “आइए खुद को टेक्नोग्राही के रूप में शामिल करें और एक नए भारत का निर्माण करें”। उन्‍होंने कहा कि मंत्रालय एलएचपी के माध्यम से नवीन तकनीकों के उपयोग के बारे में देश में व्यापक पैमाने पर ज्ञान का प्रसार और जागरूकता पैदा करने के लिए अनेक कार्यों का संचालन करेगा।कल शाम नई दिल्‍ली में एचएफए, पीएमएवाई (यू), एमओएचयूए में संयुक्‍त सचिव और मिशन निदेशक, श्री अमृत अभिजीत की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से टेक्‍नोग्राहियों के लिए एनरोलमेंट मॉड्यूल का शुभारंभ करते हुए, उन्होंने कहा कि “टेक्नोग्राही – आईआईटी, एनआईटी, इंजीनियरिंग कॉलेजों, प्‍लेनिंग और आर्किटेक्चर कॉलेजों के प्राध्‍यापक और छात्र, बिल्डर, शिक्षाविद, इंजीनियर और हितधारक – सीखने, परामर्श, विचारों की उत्पत्ति और समाधान, प्रयोग, नवाचार और तकनीकी जागरूकता के लिए छह एलएचपी साइटों पर इन जीवंत प्रयोगशालाओं का दौरा करने के लिए खुद को पंजीकृत कर सकते हैं। इससे’मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण के लिए निर्माण क्षेत्र में अपनी आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकों को उपयोगी बनाने और अपनाने में ‘टेक्नोग्राही’  सक्षम हो सकेंगे। ई-न्यूज़लेटर और एलएचपी पर राज्‍यवार छह पुस्तिकाओं का भी कार्यक्रम में लोकार्पण किया गया। सभी राज्य / संघ शासित प्रदेश सरकारों, अधिकारियों सार्वजनिक / निजी एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ अन्य हितधारकों ने आयोजन में भाग लिया।

​​इस आयोजन में, एमओएचयूए सचिव, श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि एएचपीमाननीय प्रधानमंत्री की आत्‍मनिर्भर भारत की परिकल्‍पना हैं। ये जीवन यापन में सुगमता और कारोबार में सुगमता को बढ़ाएंगे। परियोजनाओं से नागरिकों को सर्वोत्तम निर्माण सुविधाएं मिलेंगी। एनरोलमेंट मॉड्यूल एक डेटाबेस के रूप में भी कार्य करेगा ताकि इच्‍छुक उम्‍मीदवारों को लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स से जुड़े विभिन्न कार्यों और इसकी जानकारी के प्रसार के लिए पूरे वर्ष जोड़कर रखा जा सके। टिकाऊ निर्माण के लिए नवीन सामग्री, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी की पहचान करने के लिए विशेषज्ञों की सहायता प्रदान करने के लिए अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलेरेटर्स-इंडिया (आशा-इंडिया) के तहत पांच विशेषज्ञ केन्‍द्र स्थापित किए गए हैं।

नवोन्‍मेषी निर्माण प्रोद्योगिकी पर एक सर्टिफिकेट कोर्स, जिसे एनएवीएआरआईटीआईएच (नई, सस्ती, वैध, भारतीय आवास के लिए अनुसंधान नवाचार प्रौद्योगिकी) नाम दिया गया है, उसे भी एमओएचयूएद्वारा शुरू किया गया है। एलएचपी ई-न्यूज़लेटर के पहले संस्‍करण में छह स्थलों पर परियोजना की प्रगति को कैद किया गया है। यह आलेखों और तस्वीरों के माध्यम से परियोजनाओं के बारे में एक विचार देता है जिसे छात्रों, शिक्षकों, हितधारकों और जनता के साथ साझा किया जा सकता है। निर्माण कार्य को एक चुनौती के मोड में 12 महीनों के भीतर पूरा करने की आवश्यकता है। ई-न्यूज़लेटर के बारह संस्करण तैयार किए जाएंगे ताकि प्रत्येक राज्य की प्रगति, समय पर पूरा होने और निर्माण स्‍थल पर इस्‍तेमाल की जा रही विभिन्‍न प्रोद्योगियों को सीखने में समर्थ होने के लिए छह राज्यों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा सके।

​​इस बीच, छह राज्य विशिष्ट एलएचपी पुस्तिकाएं प्रत्येक स्‍थान, इसकी तकनीकी विशिष्टताओं और अन्य विवरणों के बारे में संरचित जानकारी साझा करती हैं। ये पुस्तिकाएँ समग्र रूप से लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स की विशिष्ट तकनीक, सूचनाओं के आदान-प्रदान और प्रचार के बारे में सीखने में टेक्नोक्रेट के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम करेंगी।

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज इंडिया (जीएचटीसी-इंडिया) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य मुख्यधारा वाली वैश्विक स्तर पर सिद्ध हो चुकी बेहतरीन उपलब्ध प्रौद्योगिकियों की पहचान करना है, जो किफायती आवास में आदर्श बदलाव लाने के लिए टिकाऊ, हरित और आपदा प्रतिरोधी हैं। इस पहल के तहत देश में छह स्थानों इंदौर (मध्य प्रदेश); राजकोट (गुजरात); चेन्नई (तमिलनाडु); रांची (झारखंड); अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) पर लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (एलएचपी) का निर्माण छह विशिष्ट नवीन तकनीकों का उपयोग करके किया जा रहा है।

​​एलएचपी में संबद्ध अवसंरचना सुविधाओं के साथ प्रत्येक स्थान पर लगभग 1000 घर शामिल हैं। ये एलएचपी विश्व स्तरीय नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों के गुणों को प्रदर्शित करेंगे। ये परियोजनाएं पारंपरिक ईंट और मोर्टार निर्माण की तुलना में बारह महीने के भीतर रहने के लिए त्वरित गति से तैयार घरों को प्रदर्शित और वितरित करेंगी। ये आवाससस्‍ते, टिकाऊ, उच्च गुणवत्ता वाले और मजबूत होंगे। एलएचपी नए-युग की वैकल्पिक वैश्विक प्रौद्योगिकी का सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है। यह प्रौद्योगिकी क्रांति किफायती, पर्यावरण के अनुकूल है और तेजी से निर्माण को बढ़ावा देती है। यह पहल भारत में तकनीकी परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

माननीय प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 1 जनवरी 2021 को संबंधित राज्‍यों के माननीय राज्यपालों और मुख्यमंत्रियोंकी मौजूदगी में प्रधानमंत्री कार्यालय से सभी छह एलएचपी के की संयुक्त रूप से आधारशिला रखी थी। माननीय प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान इस बात पर जोर दिया कि इन परियोजनाओं में विशेषज्ञता केन्‍द्र होंगे और इंजीनियरिंग कॉलेजों / तकनीकी विश्वविद्यालयों के तकनीकी पेशेवर, योजनाकार, वास्तुकार, इंजीनियर, छात्र और प्रोफेसर नई निर्माण तकनीक सीखने और नई निर्माण प्रोद्योगिकी को अनुभव करने और दस्तावेज करने के लिए निर्माण स्‍थल पर जाना चाहिए।

​मंत्रालय छह लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (एलएचपी) को कार्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए लाइव प्रयोगशालाओं के रूप में बढ़ावा दे रहा है जिसमें नियोजन, डिजाइन, घटकों के उत्पादन, निर्माण कार्य और परीक्षण शामिल हैं। लाइव प्रयोगशालाओं के रूप में इन एलएचपी को बनाने का प्राथमिक लक्ष्य बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना और निर्माण स्‍थल पर सीखना, मल्टीस्टेकहोल्डर्स परामर्श के लिए तकनीकी जागरूकता पैदा करना, समाधान के लिए विचारों को खोजना, काम करके सीखना, प्रयोग करना और नवाचार को प्रोत्साहित करना है, जिससे भारत के संदर्भ में जीएचटीसी- इंडिया के अंतर्गत विश्व स्तर पर पहचानी गई सिद्ध नवोन्‍मेषी प्रोद्योगियों को मुख्‍यधारा में लाया जा सके।

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