आई मात जनम की, बसंती वेला।।
तर्ज-
मिले मन से ऐ मन–
(माँ वाणी के पद
पंकज में समर्पित)
🥀गीत🥀
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खिले गुल से ऐ दिल।
खिले दिल से ऐ गुल।।
आई मात जनम की,
बसंती वेला।।
सजीं कलियाँ कमल,
खुशी सृष्टि सकल।।
आन अकल से अकल
जगा दे दिल मा।
खिले गुल से—–
ऋतु आज बसंत है प्यारी।
तन मन में खुशी छाई न्यारी।।
हम मात चरण रज खोजें,
सरसों खेत बीच लहराए।
पीला रंग सजता।
मेरे उर में बसता।।
माँ आके सुख छाएँ।
बरसे माँ ममता।
खिले गुल से—–
ब्रह्मा ने किया है पैदा,
सारा जग की तुमसे सफलता।
अब तो सृष्टि रहे न अधूरी,
लख आज ना मिलती विफलता।।
ऐ पल है खुशी का दिल हरसे,
इस पल को तुम सुखमय बना दो पलमा।
खिले गुलसे—-
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश