​​​​​​​पर्यटन मंत्रालय ने देखो अपना देश अभियान के तहत  “एस्ट्रो-टूरिज्म: द नेक्स्ट फ्रंटियर ऑफ नेचर-बेस्ड टूरिज्म यानी खगोलीय पर्यटन: प्रकृति आधारित पर्यटन की अगली सीमा”  शीर्षक से वेबिनार का आयोजन किया

​​​​​​​पर्यटन मंत्रालय ने देखो अपना देश अभियान के तहत  “एस्ट्रो-टूरिज्म: द नेक्स्ट फ्रंटियर ऑफ नेचर-बेस्ड टूरिज्म यानी खगोलीय पर्यटन: प्रकृति आधारित पर्यटन की अगली सीमा”  शीर्षक से वेबिनार का आयोजन किया

पर्यटन मंत्रालय की देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला का शीर्षक 06 फरवरी, 2021 को “एस्ट्रो-टूरिज्म: द नेक्स्ट फ्रंटियर ऑफ नेचर-बेस्ड टूरिज्म”  यानी खगोलीय पर्यटन: प्रकृति आधारित पर्यटन की अगली सीमा है, जो प्रकृति आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। कोविड महामारी के बाद प्रकृति आधारित पर्यटन दुनिया में मजबूती से उभर रहा है। वेबिनार का प्रमुख ध्यान टिकाऊ और जिम्मेदार यात्रा पर केंद्रित था। वेबिनार में दूर-दराज के समुदायों में सकारात्मक सामाजिक, आर्थिक और संरक्षण लाभ लाने के लिए अपनी अपार क्षमता को तलाशने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके साथ खगोलीय पर्यटन के विकास को सबसे प्रामाणिक और पर्यावरण-अनुकूल यात्रा के तरीकों में से एक के रूप में तलाश करना था।

वेबिनार की शुरुआत पर्यटन मंत्रालय, सरकार की अतिरिक्त महानिदेशक, श्रीमती द्वारा रूपिंदर बरार की आरम्भिक टिप्पणियों के साथ हुई। श्रीमती रूपिंदर बरार ने कहा कि खगोलीय पर्यटन एक नया रूप है जो दुनिया भर में तेज़ी से बढ़ रहा है। रहस्यमय तरीके से लोगों की रूचि को पकड़ना पर्यटन को उम्र के माध्यम से प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि भारत में दुनिया की सभी भौतिक भौगोलिक विशेषताओं वाले प्रकृति आधारित पर्यटन के संबंध में अपार संभावनाएं हैं। श्रीमती बरार ने अपने देश में ही कम ज्ञात और प्रकृति से घिरे गंतव्यों पर जाकर घरेलू यात्रा करते हुए “देखो अपना देश” अभियान को प्रोत्साहन देने के विचार को बढ़ावा दिया। उन्होंने यात्रा के दौरान सभी एहतियाती सुरक्षा उपायों पर विचार करने की भी अपील की।

वेबिनार की प्रस्तुति वैश्विक हिमालयी अभियान के मुख्य परिचालन अधिकारी श्री जयदीप बंसल द्वारा की गई थी। यह अभियान एक सामाजिक उद्यम है जो सुदूर हिमालयी गांवों में सौर ऊर्जा लाने के लिए प्रभावी अभियान आयोजित करता है। वैश्विक हिमालायी अभियान-जीएचई ने 140 गांवों का विद्युतीकरण किया है और 60,000 से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावी पर्यटन की एक अभिनव अवधारणा के माध्यम से प्रकाशित किया है। जीएचई के सुदूर ग्रामीण विद्युतीकरण के काम को नेशनल जियोग्राफिक, बीबीसी और एनडीटीवी ने दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचाने के लिए लिखित रूप से प्रमाणित किया है और डब्ल्यूटीटीसी और वर्ल्ड टूरिज्म अवार्ड्स द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान कर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने एसडीएच लक्ष्य संख्या-7 को प्रभावित करने वाले स्थायी पर्यटन में जीएचई को मामले के सफल अध्ययन के रूप में मान्यता दी है।

वेबिनार की अन्य प्रस्तुतकर्ता आजीविका की पहल के लिए जीएचई के खगोल विज्ञान की प्रोजेक्ट लीडर श्रीमती सोनल असगोत्रा थीं। इस संस्था को एस्ट्रोस्टेज (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.  एएसटीआरओएसटीएवाईएस. सीओएम) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा ऑफिस ऑफ डेवलपमेंट (ओएडी) के संस्थापक और वर्तमान निदेशक श्री केविन गोवेंडर ने भी इस वेबिनार में अपनी प्रस्तुति दी। श्रीमती सोनल 2013 के अंतरराष्ट्रीय अंटार्कटिक अभियान दल की सदस्य रही हैं। इस अभियान दल का नेतृत्व ध्रुवीय अन्वेषक सर रॉबर्ट स्वान, ओबीई ने किया था, जबकि श्री केविन गोवेंडर पहले दक्षिण अफ्रीकी खगोलीय वेधशाला में दक्षिणी अफ्रीकी बड़े दूरबीन के समानांतर लाभ के कार्यक्रम (खगोलीय पर्यटन सहित) के प्रबंधक थे। इसके आलावा वे अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के साथ मिलकर एडिनबर्ग मेडल के संयुक्त प्राप्तकर्ता और अफ्रीकन खगोलीय समिति की स्थापना के लिए सूत्रधार थे।

प्रस्तुतकर्ताओं ने खगोलीय-पर्यटन और टिकाऊ तथा जिम्मेदार पर्यटन को चलाने और इसकी क्षमता के बारे में जानकारी प्रदान करके वेबिनार शुरू किया। उन्होंने खगोलीय-पर्यटन के बारे में जानकारी दी जो एक समुदाय द्वारा संचालित ज्योतिष मॉडल है जो समुदायों को पर्यटन मॉडल के केंद्र में रखता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आर्थिक आधार पर विविधता लाने और एक महत्वपूर्ण विकास हस्तक्षेप के रूप में खगोलीय-पर्यटन का उपयोग करके आजीविका निर्माण के नए अवसरों का सृजन करके समुदायों को सशक्त और मजबूत करना है। यह मॉडल अनुभव पर आधारित और टिकाऊ पर्यटन का एक अभिनव रूप भी है जो दुनिया के दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आर्थिक लाभ उत्पन्न करता है जो यात्रियों के लिए बदलते जीवन का अद्वितीय अनुभव बनाते हुए रात के समय आसमान को साफ करते हैं।

खगोल विज्ञान की बुनियादी बातों और क्रियाशील दूरबीनों की जानकारी के आधार पर प्रशिक्षित, स्थानीय गृह स्वामी और मालिकों (ज्यादातर महिलाएं) आने वाले पर्यटकों के लिए रात्रि के समय आसमान को निहारने वाले सत्र आयोजित करती हैं, जिससे समुदायों के लिए राजस्व सृजन का एक नया अवसर तैयार होता है। इससे अंततः स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रोत्साहन में वृद्धि होती है और स्थानीय युवाओं को अपना घर छोड़कर रोज़गार के लिये बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा सदियों पुरानी सांस्कृतिक हिमालयी विरासत का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।

उन्होंने बताया कि अब तक, 35 स्थानीय महिलाओं को लद्दाख के काफी ऊंचाई वाले हिमालयी रेगिस्तान में 5 खगोलीय निवास के लिये प्रशिक्षित किया गया है, जिससे स्थानीय समुदायों के लिए एक मजबूत वार्षिक आय पैदा हो रही है।

प्रस्तुतकर्ताओं ने कुछ प्रमुख स्थलों पर भी प्रकाश डाला, जिन्हें भारत में खगोलीय पर्यटन स्थलों के रूप में प्रचारित किया जा सकता है। पैंगोंग झील (लद्दाख), कच्छ का रण (गुजरात), मांडू (मध्य प्रदेश), लाहौल और स्फीति (हिमाचल प्रदेश) आदि स्थलो पर खगोलीय पर्यटन को बढावा मिल सकता है। रात के दौरान राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों को खगोलीय पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा देने पर और अधिक गहन विचार प्रस्तुत किये।

‘देखो अपना देश’ वेबिनार श्रृंखला राष्ट्रीय ई गवर्नेंस विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ तकनीकी साझेदारी के तहत प्रस्तुत किया गया है। वेबिनार के सत्र अब https://www.youtube.com/channel/UCbzIbBmMvtvH7d6Zo_ZEHDA/featured पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा वेबिनार के सत्र पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के सभी सोशल मीडिया हैंडल पर भी उपलब्ध हैं।

अगला वेबिनार स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, केवडिया, गुजरात पर आधारित है। यह वेबिनार 13 फरवरी, 2021 को सुबह 11 बजे आयोजित होगा।

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