माँ की महिमा जान,मात को शीश नवावै। माँ को उर में मान,मात को हृदय बसावै।।

🥀छप्पय छंद🥀
1-
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माँ की महिमा जान,मात को शीश नवावै।
माँ को उर में मान,मात को हृदय बसावै।।
माँ ही जग आधार,सत्य की ज्योति जगातीं।
माँ ही हैं जग सार,लाल को गोद खिलातीं।।
सुन जग में मात महान हैं।
धूरा चरण लगाइए।।
गुन ममता मात अपार है।
माँ की महिमा गाइए।।
2-
माँ की गोदी नीक,पले हैं कृष्ण मुरारी।
माँ की गोदी स्वर्ग,पली है जनक दुलारी।।
माँ की गोदी स्वच्छ,पड़ें हैं राघव प्यारे।
माँ की गोदी बैठ,हँसे हैं ईश्वर न्यारे।।
अब माँ की गोदी बैठ लो,
राघव झूलें पालना।
तुम माता को मत भूलना,
माता पालें लालना।।
3-
माँ की लीला देख,सोच में तन मन मेरा।
माँ खाती है पूत,रूप है नागिन तेरा।।
लालन पानी डार,कहाँ है ममता तेरी।
लालन आरा काट,आँख में पानी मेरी।।
माँ लालन पानी डारतीं,
जानी मानी बात है।
माँ गंगा लालन मांगतीं,
कैसी काली रात है।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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