आई है बसंत ऋतु प्यारी, झूम रही डाली डाली।
🥀गीत🥀
विषय-बसंत
16-14
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आई है बसंत ऋतु प्यारी,
झूम रही डाली डाली।
प्रीतम याद भरी मेरे मन,
झूम रही डाली डाली।।
उड़ते खेचर नील गगन में,
भँवरे राग सुनाते हैं।
तितलीं सुंदर रंग विरंगीं,
सुमन सुधा टपकाते हैं।।
प्रबल अगन जलती मेरे तन,
झूम रही—–
त्याग रहे पत्तों को तरुवर,
नए वस्त्र फिर पहने हैं।
माया में उलझा है जन जन,
पहने सुंदर गहने हैं।।
मंद सुगंध समीर बहती वन।
झूम रही—–
बैठी हूँ अमुआ के नीचे,
देख रही राहें तेरी।
सुंदर मोर नाचता वन में,
सुध वुध खोती है मेरी।।
मोहन मेरे आओ मधुवन।
झूम रही–
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश