विषय-जल

🥀मनहरण घनाक्षरी🥀
विषय-जल
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ऐ भारी परेशानी है,सबकी जानी मानी है,
क्यों ठाने अभिमानी है,जल से जहान है।
सूखा की सुन मार है,पानी के बिन हार है,
सिर पै अब भार है,जल ही महान है।।
बोतल में पानी मिले,पानी से ही गुल खिले,
पानी बिन दिल जले,जल ही सुहान है।
खेतों में फसल नहीं,जन में अकल नहीं,
देख देख कल नहीं,होत जल हान है।।

मत वरवाद कर,थोड़ा अब ख्याल कर,
आगे भी ध्यान कर,नीर जन जान है।
बोतल नीर तीस की,मिलत नहीं बीस की,
देन है जगदीस की,नीर जग शान है।।
मूल्य सलिल जानलो,सलिल श्याम मान लो,
जीवन को समार लो,जल सुख खान है।।
सलिल पहिचान लो,गुरु का सद ज्ञान लो,
कर सलिल पान लो,जल से ही धान है।

उदक बिन सून है,सारंग सच मून है,
सलिल तन खून है,कहाँ तेरा ध्यान है।
हर घर में बोर है,मग मग में शोर है,
काल सी कल भोर है,कहाँ तेरा ज्ञान है।।
पानी अब फैलाते हैं,आफत बुललाते हैं,
मूरख कहलाते हैं,आफत में जान है।
प्रभुपग उदास हैं,नहीं दिल में चैन हैं,
छाए जल नैन हैं,नहीं अभिमान है।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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