21 और 22 अप्रैल 2025 को अरुणाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

21 और 22 अप्रैल 2025 को अरुणाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) 21-22 अप्रैल 2025 को अरुणाचल प्रदेश के नामसाई में “बुद्ध धम्म और पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू के शामिल होने की संभावना है। इसी क्षेत्र से आने वाले उपमुख्यमंत्री श्री चौना मीन के भी इसमें भाग लेने की संभावना है।

पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं। यह क्षेत्र बौद्ध परंपराओं, मठवासी संस्कृति और विरासत का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस क्षेत्र ने थेरवाद, महायान और वज्रयान सहित विभिन्न बौद्ध परंपराओं को संरक्षित किया है और यहां से उनका प्रसार हुआ है।

भारत सरकार बौद्ध पर्यटन, विरासत संरक्षण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों में सक्रिय रूप से शामिल है, ताकि इस क्षेत्र में बुद्ध धम्म की उपस्थिति को मजबूत किया जा सके। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ “बुद्ध धम्म और पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति” के महत्व के संबंध में चर्चा के लिए नामसाई के मल्टीपर्पज कल्चरल हॉल में 2 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।

इसके पहले दिन तीन पैनल चर्चाएं होंगी जिनमें इसकी ऐतिहासिक प्रासंगिकता, इस क्षेत्र की कला और संस्कृति तथा पड़ोसी देशों पर बुद्ध धम्म के सांस्कृतिक प्रभाव तथा इसकी विपरीत स्थिति के विषय पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जबकि दूसरे दिन विपश्यना का अभ्यास तथा प्रसिद्ध गोल्डेन पैगोडा में विश्व शांति के लिए प्रार्थना की जाएगी।

बुद्ध धम्म ऐतिहासिक रूप से सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान पूर्वोत्तर भारत में पहुंचा और अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में फैल गया। इसने भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने वाले बौद्ध सांस्कृतिक गलियारे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इसके अतिरिक्त, पूर्वोत्तर भारत में कई स्थानीय जनजातियां निवास करती हैं जिन्होंने बुद्ध धम्म को अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ जोड़ा है। यहां विविध बौद्ध परंपराओं, थेरवाद, महायान और वज्रयान को फलने-फूलने का अवसर मिला है।

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