मत्स्य विभाग कार्यालय के महोबा स्थानान्तरित होने पर आखिर क्यों है प्रतिनिधियों में खामोशी
मत्स्य विभाग कार्यालय के महोबा स्थानान्तरित होने पर आखिर क्यों है प्रतिनिधियों में खामोशी
रिपोर्ट-जुगल किशोर द्विवेदी
हमीरपुर जनपद के दौरान 1952 में चरखारी में स्थापित हुआ था सहायक निदेशक मत्स्य कार्यालय’ अब महोबा से हो रहा संचालन
चरखारी (महोबा) 13 अप्रैल। सहायक निदेशक मत्स्य कार्यालय हमीरपुर जनपद के दौरान ही 1952 में चरखारी में स्थापित किया गया था और पूरे जिले का कार्य चरखारी कार्यालय से ही सम्पादित होता रहा लेकिन जिला मुख्यालय में आवास बनाए अधिकारियों ने चरखारी आने जाने की जहमत से बचने के लिए कार्यालय को ही महोबा स्थित विकास भवन के एक कमरे से संचालन शुरू कर दिया है और मीडिया द्वारा मामला को उठाने और जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखे जाने के बाद जबरदस्त खामोशी दिखाई दे रही है।
सदन में मांग रखी और शोसल मीडिया के जरिए वाहवाही लूटने के सिलसिले ने विकास से ज्यादा प्रचार को बढ़ावा दे दिया है लेकिन जो विकास वरासत में मिला उसको संजोने में जनप्रतिनिधियों द्वारा नजरअंदाज किया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते चलें कि कस्बा चरखारी में सहायक निदेशक मत्स्य कार्यालय वर्ष 1952 में स्थापित हुआ था जिसका मेला मैदान के पास ही 3 से 4 बीघ जमीन पर विशाल भवन’ आवास’ परिसर’ कार्यालय में फर्नीचर’ उपकरण’ पर्याप्त व्यवस्थाएं मौजूद हैं लेकिन इसके बाद भी बिना किसी को कानो कान खबर लगे विभाग के अधिकारियों ने कार्यालय का संचालन विकास भवन के एक कमरे से शुरू कर दिया है। कार्यालय को महोबा से संचालित किए जाने पर जवाब यह कि चरखारी में कार्यालय भवन जीर्णशीर्ण हो गया है। अब जहां तक भवन के जीर्ण होने का सवाल है तो बताते चलें कि कार्यालय मुख्यालय में आवास न बनाते हुए जिला मुख्यालय में आवास बनाने वाले अधिकारियों ने एक साजिश के तहत इसे जीर्ण शीर्ण किया है जिसमें एक दशक से मरम्मत के लिए शासन से पैसा ही नहीं मांगा गया और एक बार शासन द्वारा मरम्मत का रूपया दिया तो अधिकारियों ने सरण्डर कर दिया। ये पटकथा तो अधिकारियों की साजिश की है लेकिन इस क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों का क्या रवैया भी समझ से परे है। स्थानीय पत्रकारों द्वारा इस कार्यालय के महोबा स्थानान्तण होने पर प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किए लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस समाचारों का संज्ञान नहीं लिया और जलाशयों की भरमार होने के कारण चरखारी क्षेत्र में मत्स्य विकास’ मछुवारों के विकास के लिए सात दशक से चरखारी में संचालित कार्यालय बन्द होने पर जनप्रतिनिधियों की खामोशी समझ से परे है। ऐसी दशा में जनप्रतिनिधियों द्वारा क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न पटलों पर मांग रखना बेमानी सा लगता है जहां पूर्व में हुए विकास को ही संजो के न रखा जा सके।