जल शक्ति राज्यमंत्री ने केंद्रीय जल आयोग के समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

जल शक्ति राज्यमंत्री ने केंद्रीय जल आयोग के समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

लक्ष्मी कान्त सोनीसियांग/ ब्रह्मपुत्र नदी के कारण उत्पन्न होने वाले बाढ़ की समस्या को रोकने वाली योजना की समीक्षा की गई और तिब्बत के मेडोग में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक सुपर पनबिजली स्टेशन बनाने वाली चीन की कथित योजनाओं पर चिंताओं के बारे में चर्चा की

जल शक्ति राज्य मंत्री ने पीएमकेएसवाई और ड्रिप जैसी विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत होने वाली प्रगति की समीक्षा की। उन्हें बताया गया कि पिछले डेढ़ वर्षों में पीएमकेएसवाई के अंतर्गत प्राथमिकता वाली 99 परियोजनाओं में से 10 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। उन्हें यह भी बताया गया कि मंत्रिमंडल ने ड्रिप द्वितीय और तृतीय योजना को मंजूरी प्रदान की है, जिस पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये का व्यय होगा जिसमें से 7,000 करोड़ रुपये का वित्तपोषण विश्व बैंक और एआईआईबी द्वारा किया जाएगा। उन्हें यह भी बताया गया कि ड्रिप- प्रथम के अंतर्गत 7 राज्यों में स्थित 223 बांधों का पुनर्वास किया गया जिसकी अनुमानित लागत 3,466 करोड़ रुपये है। श्री कटारिया ने इस कार्यक्रम का संचालन करने की दिशा में केंद्रीय जल आयोग के भूमिका की सराहना की।

उन्हें आगे यह भी बताया गया कि नदी बेसिन संगठनों का निर्माण करने से बेहतर जल प्रबंधन किया जा सकता है। उन्होंने देश में पानी के लिए बढ़ते झगड़ों के प्रति चिंता व्यक्त की। उन्हें सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों ने बताया कि आईएसडब्ल्यूआरडी संशोधन विधेयक पारित होने के साथ ही, जल विवादों का समाधान और तीव्र गति से होगा। सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों ने उन्हें यह भी बताया कि देश में जल संसाधनों का समग्र प्रबंधन करने के लिए आईएसडब्ल्यूआरडी विधेयक और बांध सुरक्षा विधेयक पारित करना बहुत ही आवश्यक है।

श्री कटारिया को बताया गया कि पिछले एक वर्ष में 79 नए बाढ़ पूर्वानुमान केंद्रों का परिचालन शुरू किया गया है जिसके परिणामस्वरूप, वर्ष 2020 में 19 नदी बेसिनों में स्थापित 328 पूर्वानुमान स्टेशनों द्वारा 11,721 पूर्वानुमान जारी किए गए हैं। एक नव उन्नत बाढ़ पूर्वानुमान वेबसाइट और फ्लड डेटा इंट्री युटीलिटी की शुरूआत मई 2020 से की गई है – https://ffs.tamcnhp.com

बाढ़ पूर्वानुमान और प्रबंधन पर चर्चा करने के दौरान, ब्रह्मपुत्र नदी के कारण उत्पन्न होने वाले बाढ़ से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई। सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों ने उन्हें ऊपरी सियांग/ ब्रह्मपुत्र नदी में एक परियोजना स्थापित करने की आवश्यकता के बारे में अवगत कराया जो असम राज्य के लिए अत्यधिक लाभप्रद साबित होगा। तिब्बत के मेडोंग में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा कथित रूप से सुपर पनबिजली स्टेशन स्थापित करने की योजना के बारे में अधिकारियों ने उन्हें अवगत कराया और कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी के पानी की धारा को बदलने का किसी भी प्रकार का प्रयास भारत, बांग्लादेश जैसे निचले तटवर्ती देशों के अधिकारों पर एक अतिक्रमण साबित होगा और इससे कमजोर मौसम के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में पानी की उपलब्धता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि, भारत और चीन के बीच नदियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वर्ष 2006 में स्थापित किए गए विशेषज्ञ स्तर तंत्र जैसे आधिकारिक मंच मौजूद हैं।

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