शोध और नवाचार, कृषि स्टार्टअप व प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता- केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के आतिथ्य में हुआ भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली का 63वां दीक्षांत समारोह
भारत की कृषि विकास दर दुनिया में सबसे आगे है- श्री शिवराज सिंह चौहान
विद्यार्थी अनंत शक्तियों का भंडार हैं, उन्हें सकारात्मक ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए- श्री शिवराज सिंह
कृषि के छात्रों को भारतीय कृषि की चुनौतियों के समाधान में आगे आना चाहिए- श्री चौहान
शोध और नवाचार, कृषि स्टार्टअप व प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता- केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के 63वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर वर्चुअल शामिल हुए। आईएआरआई ने 63वां दीक्षांत समारोह नई दिल्ली में भारत रत्न सी. सुब्रमणियम हॉल में आयोजित किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), जो हरित क्रांति का अग्रदूत रहा है, ने अपने उत्कृष्ट शोध, शिक्षा और विस्तार गतिविधियों के माध्यम से कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि को निरंतर गति प्रदान की है। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी और श्री रामनाथ ठाकुर, केंद्रीय कृषि सचिव और प्रभारी सचिव कृषि अनुसंधान शिक्षा विभाग (DARE) एवं महानिदेशक, आईसीएआर श्री देवेश चतुर्वेदी, निदेशक, आईएआरआई डॉ. च. श्रीनिवास राव सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों, छात्र छात्राओं, किसानों, वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में स्नातक और डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी और वैज्ञानिकों के शोध एवं नवाचार की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की कृषि विकास दर 5% है जो दुनिया में सबसे आगे है। विद्यार्थी अनंत शक्तियों का भंडार हैं और उन्हें सकारात्मक ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और किसानों की मेहनत से देश अन्न भंडारों से समृद्ध हुआ है। श्री शिवराज सिंह ने कहा कि छात्रों को भारतीय कृषि की चुनौतियों के समाधान में आगे आना चाहिए। साथ ही, शोध और नवाचार, कृषि स्टार्टअप और प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत को कृषि क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए अनुसंधान को और सशक्त करना होगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए कौशल आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों को नवाचार, कृषि उद्यमिता, और स्टार्टअप की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। श्री चौहान ने बताया कि भारत में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या अधिक है इसलिए ऐसे नवाचार आवश्यक हैं जो छोटे किसानों की आय में वृद्धि करें। सतत कृषि, जलवायु-लचीली खेती और जैविक तथा प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आईएआरआई द्वारा विकसित तकनीकों को प्रयोगशालाओं से खेतों तक तेजी से पहुंचाना आवश्यक है ताकि किसानों को अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने कृषि यंत्रों, स्मार्ट फार्मिंग और उन्नत डिजिटल तकनीकों को अपनाने की भी सलाह दी।
दीक्षांत समारोह में राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी और श्री ठाकुर ने 5 एम.एससी. और 5 पीएचडी विद्यार्थियों को आईएआरआई मेरिट मेडल से सम्मानित किया। इसके अलावा, आईएआरआई बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड (नाबार्ड)-2024 – डिवीजन ऑफ एंटोमोलॉजी के पीएचडी छात्र श्री रुद्र गौड़ा को प्रदान किया गया। सर्वश्रेष्ठ एम.एससी. छात्र पुरस्कार डिवीजन ऑफ एग्रोनॉमी की एम.एससी. छात्रा सुश्री स्नेहा भारद्वाज को दिया गया। डॉ. एच.के. जैन मेमोरियल यंग साइंटिस्ट अवार्ड-2024–डिवीजन ऑफ जेनेटिक्स के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विग्नेश मुथुसामी को दिया गया। 28वां हुकर पुरस्कार (2022-23) डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, एसएसटी, आईएआरआई, नई दिल्ली को दिया गया। 4वां नाबार्ड रिसर्चर ऑफ द ईयर-2024 डिवीजन ऑफ एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन के वैज्ञानिक डॉ. गिरीश सिंह महरा को प्रदान किया गया। समारोह में कुल 399 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की गईं जिनमें विदेशी छात्र भी शामिल हैं।
इस अवसर पर गेहूं, मक्का, चना, मूंग और आम सहित विभिन्न फसलों की नई किस्मों का विमोचन किया गया। साथ ही, तीन प्रमुख प्रकाशनों का भी अनावरण किया गया।