बिचौलियों पर निर्भरता कम करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत किए गए उपाय
बिचौलियों पर निर्भरता कम करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत किए गए उपाय
भारत सरकार प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की एकीकृत योजना का संचालन कर रही है, जिसमें मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), भावांतर भुगतान योजना (पीडीपीएस), बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) शामिल हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) पीएसएस, पीडीपीएस और एमआईएस को कार्यान्वित करता है जबकि उपभोक्ता मामले विभाग पीएसएफ को कार्यान्वित करता है। पीएम-आशा की एकीकृत स्कीम का उद्देश्य खरीद कार्यों के कार्यान्वयन में अधिक प्रभावशीलता लाना है, जो न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में सहायता करेगा, अपितु उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करके आवश्यक वस्तुओं की कीमत में उतार-चढ़ाव को भी नियंत्रित करेगा।
मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) पीएम-आशा का एक घटक है, जिसे तब कार्यान्वित किया जाता है जब अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा के बाजार मूल्य फसल कटाई के चरम समय के दौरान अधिसूचित एमएसपी से नीचे चले जाते हैं, ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान किया जा सके। अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद, जो निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के अनुरूप है, केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) जैसे कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) द्वारा राज्य स्तरीय एजेंसियों के माध्यम से विध भूमि रिकॉर्ड वाले पूर्व-पंजीकृत किसानों से सीधे एमएसपी पर की जाती है, ताकि बिचौलियों द्वारा योजना का लाभ उठाने की संभावना को समाप्त किया जा सके।
इसके अतिरिक्त, दलहनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कसानों को उनके योगदान के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, पीएसएस के तहत तुअर, उड़द और मसूर पर 25% की मौजूदा खरीद सीमा को वर्ष 2023-24 के लिए हटा दिया गया है और इसे वर्ष 2024-25 के लिए भी आगे बढ़ा दिया गया है।
(ख): बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) पीएम-आशा का एक घटक है, जिसे राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार के अनुरोध पर टमाटर, प्याज और आलू आदि जैसे विभिन्न नाशवान कृषि/बागवानी उत्पादों की खरीद के लिए कार्यान्वित किया जाता है, जिनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय नहीं है और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पिछले सामान्य मौसम की दरों की तुलना में बाजार में कीमतों में कम से कम 10% की गिरावट आई है, ताकि किसानों को अपनी उपज की मजबूरी में बिक्री करने के लिए बाध्य न होना पड़े। इसे तब लागू किया जाता है जब राज्य/संघ राज्य क्षेत्र कुल हानि को राज्य और केंद्र के बीच 50:50 के अनुपात में साझा करने के लिए तैयार हों, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में, केंद्र और राज्य के बीच हानि को 75:25 के आधार पर साझा किया जाएगा। राज्य द्वारा नामित एजेंसी द्वारा निर्धारित एफएक्यू की विशेष फसल के राज्य के उत्पादन के 25% तक की खरीद एक निश्चित बाजार हस्तक्षेप मूल्य (एमआईपी) पर की जाती है, जैसा कि एमआईएस समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है, साथ ही अनुमत ओवरहेड्स खर्च, जो एमआईपी का 25% है, ताकि किसानों को अपनी उपज की संकटग्रस्त बिक्री के लिए बाध्य न किया जाए। तथापि, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के पास किसानों को एमआईपी और बिक्री मूल्य के बीच अंतर का भुगतान करने का विकल्प भी है, खासकर जहां नाशवान वस्तुओं के भंडारण के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है। इसके अतिरिक्त, किसानों के हित में, विशेष मामलों में, यदि उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच शीर्ष फसलों (टमाटर, प्याज और आलू) की कीमत में अंतर है, तो नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) द्वारा फसलों को उत्पादक राज्य से उपभोक्ता राज्यों तक भंडारण और परिवहन में किए गए परिचालन लागतों की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाएगी।
भारत सरकार ने सितंबर 2024 में इसके दायरे को व्यापक बनाते हुए एकीकृत पीएम आशा योजना को जारी रखने की मंजूरी दी। जिन अधिसूचित दलहनों और तिलहनों और खोपरा के लिए एमएसपी की घोषणा की जाती है, उन्हें पीएम-आशा के मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) घटक के तहत कवर किया जाता है। मूल्य समर्थन योजना के तहत दलहन और तिलहन की खरीद को सीओएस की मंजूरी से राष्ट्रीय उत्पादन के अधिकतम 25% तक की अनुमति दी गई है। तिलहन किसानों को सहयोग देने के लिए, भावांतर भुगतान योजना (पीडीपीएस) के तहत कवरेज को राज्य के उत्पादन के मौजूदा 25% से बढ़ाकर विशेष तिलहन के राज्य उत्पादन का 40% कर दिया गया है, जिसमें एमएसपी और अधिसूचित बाजार में बिक्री/मॉडल मूल्य के बीच मूल्य अंतर का 15% तक एमएसपी मूल्य का सीधा भुगतान किसानों को किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, सभी कृषि/बागवानी वस्तुएं जिनके लिए एमएसपी तय नहीं है और जो नाशवान प्रवृत्ति की हैं, उन्हें पीएम-आशा की एकीकृत योजना के एमआईएस घटक के तहत कवर किया गया है सरकार टमाटर, प्याज और आलू (टीओपी) जैसी नाशवान फसलों और सेब, अदरक, मिर्च आदि जैसी कड अन्य फसलों को एमआईएस के तहत कवर कर रही है, जिनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय नहीं है, ताकि राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में पिछले सामान्य सीजन की दरों की तुलना में बाजार जार में कीमतों कम से कम कम 10% की कमी होने पर किसानों को होने वाली कठिनाई को कम किया जा सके ताकि किसान को अपनी उपज की मजबूरी में बिक्री करने के लिए बाध्य न होना पड़े। सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजन (एमआईएस) के तहत पीडीपीएस का एक नया घटक शुरू किया है ताकि नाशवान फसलों की खेती करन वाले किसानों को बाजार हस्तक्षेप मूल्य (एमआईपी) और बिक्री मूल्य के बीच भावांतर का सीधा भुगतान किया जा सके।
पीएम-आशा के तहत प्रभावी खरीद करने और किसानों को एमएसपी का अधिकतम लाभ प्रदान करने के लिए, उत्पादन, विपणन योग्य अधिशेष, किसानों की सुविधा और भंडारण और परिवहन आदि जैन अन्य लॉजिस्टिक/इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए संबंधित राज्य सरकार की एजेंसिय और नेफेड, एनसीसीएफ आदि केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा खरीद केंद्र खोले जाते हैं। किसानों की सुविध के लिए प्रमुख स्थानों पर मौजूदा मंडियों और डिपो/गोदामों के अलावा बड़ी संख्या में खरीद केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।