महोबा में ब्लैकमेलर पत्रकारों की घटिया पत्रकारिता से परेशान ईमानदार अधिकारी

महोबा में ब्लैकमेलर पत्रकारों की घटिया पत्रकारिता से परेशान ईमानदार अधिकारी

महोबा: जिले में कुछ तथाकथित पत्रकारों द्वारा की जा रही ब्लैकमेलिंग और तथ्यविहीन खबरों की रिपोर्टिंग से जिले के ईमानदार अफसरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह लोग आए दिन जिला चिकित्सालय सहित विभिन्न सरकारी कार्यालयों में मधुमक्खियों की तरह मंडराते रहते हैं और मनगढ़ंत खबरें प्रकाशित कर प्रशासनिक अधिकारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास करते हैं।

झूठी खबरों का खेल और दबाव बनाने की साजिश

सूत्रों के मुताबिक, ये कथित पत्रकार सरकारी संस्थानों और अधिकारियों की छोटी-छोटी गलतियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की कोशिश करते हैं। कई बार बिना किसी ठोस सबूत के अफसरों पर आरोप लगाए जाते हैं और खबरें प्रकाशित कर उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जाती है। यह न केवल पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है, बल्कि इससे प्रशासनिक कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।

ईमानदार अधिकारियों की छवि धूमिल करने की कोशिश

महोबा के जिला चिकित्सालय समेत कई सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकारी इन ब्लैकमेलर पत्रकारों की हरकतों से त्रस्त हैं। वे आए दिन अस्पतालों, तहसीलों और अन्य सरकारी दफ्तरों में जाकर वहां कार्यरत अधिकारियों पर अनुचित दबाव बनाते हैं। जब उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे संबंधित अधिकारियों के खिलाफ खबरें छापकर उनकी छवि खराब करने का प्रयास करते हैं।

प्रशासन को उठाने होंगे ठोस कदम

इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन को कठोर कदम उठाने की जरूरत है। यदि समय रहते इन फर्जी पत्रकारों पर कार्रवाई नहीं की गई तो इससे जिले में निष्पक्ष प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

सच्ची पत्रकारिता पर उठ रहे सवाल

ऐसे मामलों से पत्रकारिता की साख पर भी सवाल खड़े होते हैं। जहां एक ओर निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकार समाज की सच्चाई सामने लाने में जुटे रहते हैं, वहीं कुछ लोग इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर अपने निजी स्वार्थ साधने में लगे हुए हैं। यह जरूरी हो गया है कि पत्रकारिता में मौजूद ऐसे भ्रष्ट तत्वों की पहचान कर उचित कार्रवाई की जाए ताकि समाज में सही और सच्ची पत्रकारिता की पहचान बनी रहे।

निष्कर्ष

महोबा जिले में पत्रकारिता की आड़ में चल रही ब्लैकमेलिंग की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वह इन मामलों की गहन जांच करे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि ईमानदार अफसर बिना किसी दबाव के अपने कार्यों का निष्पादन कर सकें।

 

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