बेवश जनता भोग रही फल, ठोकर दर दर खाती है।
🥀ताटंक छंद🥀
विषय-
आवाश योजना में लूट
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बेवश जनता भोग रही फल,
ठोकर दर दर खाती है।
लाभ मिले न पात्र जनो को,
रिश्वत मन को भाती है।।
छीन गरीब के मुख कि रोटी,
कुतिया देखो खाती है।
कुतिया के सँग पिल्ले खावें,
भारी रार लखाती है।।
वेवश—
मालिक करते चौकीदारी,
कुत्ते मौज उड़ाते हैं।
कोउ काउ की बात सुनें ना,
रोटी दाँत चवाते हैं।।
जिन पिल्लों को मिली न रोटी,
भौं भौं राग सजाते हैं।
मच गइ अबतो खेंचा तानी,
रोटी घात लगाते हैं।।
वेवश—
बहुत नशानो जिला महोबा,
बेलाताल बताते हैं।
रोटी है आवाश योजना,
आगे राज छिपाते हैं।।
समझदार खां बड़ो इशारो,
धंधे गलत सजाते हैं।
प्रभुपग कलमकार मत समझो,
भारत शान बचाते हैं।।
वेवश—
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश