हे मन मोहन प्यास जगी मन नीर पिला
🥀 नील छंद🥀
विधान~[(भगण×5)+गुरु ]
211 211 211 211 211 2
16वर्ण,यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।
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हे मन मोहन प्यास जगी मन नीर पिला।
हे सुख सागर आश भरी उर धीर दिला।।
हे दुख नाशक शोक हरो सब पीर मिटा।
हे मन भावन भार धरो सिर आन घटा।।
हे मन मोहन—
हे मुरली धर पार करो भव ताल पड़े।
हे नटनागर नैन लखो हम पास खड़े।।
हे प्रभु आकर लॉज रखो रिपु राह लखें।
हे हरि मोहन रोग हरो सुख स्वाद चखें।।
हे मन मोहन—
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश