अवैध शस्त्रों की तस्करी पर पुलिस की निष्क्रियता, अपराधियों तक आसानी से पहुंच रहे हथियार

अवैध शस्त्रों की तस्करी पर पुलिस की निष्क्रियता, अपराधियों तक आसानी से पहुंच रहे हथियार

हमीरपुर। जिले में अवैध शस्त्रों की उपलब्धता और बढ़ती तस्करी ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में थाना मौदहा पुलिस ने एक युवक को अवैध तमंचा और कारतूस के साथ गिरफ्तार किया, लेकिन यह गिरफ्तारी सिर्फ सतही कार्रवाई नजर आ रही है। पुलिस आए दिन किसी न किसी अपराधी को तमंचे के साथ पकड़कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रही है, मगर असली सवाल यह है कि इन शस्त्रों की आपूर्ति कहां से हो रही है?

शस्त्रों की जड़ तक पहुंचने से कतरा रही पुलिस

जनपद हमीरपुर में अवैध हथियार लगातार पकड़े जा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में शस्त्र निर्माण और तस्करी का बड़ा नेटवर्क सक्रिय है। सवाल यह उठता है कि जब अपराधी इतनी आसानी से अवैध हथियार प्राप्त कर रहे हैं तो पुलिस इसकी जड़ तक जाने से क्यों बच रही है? जब भी किसी अपराधी को हथियारों के साथ पकड़ा जाता है, पुलिस केवल आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज देती है। मगर इन तमंचों की सप्लाई कहां से हो रही है, इसे लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

अपराधियों के लिए आसान हो चुका है तमंचा खरीदना

शहर में हालात ऐसे हो गए हैं कि जिसे देखो, वही हथियार लेकर घूम रहा है। आम लोगों में भी यह चर्चा है कि कुछ ही हजार रुपये में अवैध तमंचा आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसका सीधा मतलब है कि जिले में अवैध हथियारों का निर्माण और बिक्री का कारोबार फल-फूल रहा है। लेकिन पुलिस केवल छोटे अपराधियों को पकड़कर अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि असली सरगना तक पहुंचने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की जा रही।

ताजा मामला – मौदहा पुलिस की कार्रवाई केवल दिखावा?

आज थाना मौदहा पुलिस ने ग्राम मदारपुर मोड़ हाईवे के किनारे से शिवकुमार उर्फ गुल्ली पुत्र बिंदा अनुरागी (उम्र 25 वर्ष) निवासी ग्राम छिरका को गिरफ्तार किया। उसके पास से एक 315 बोर का अवैध तमंचा और जिंदा कारतूस बरामद किया गया। इस मामले में थाना मौदहा पुलिस ने मुकदमा संख्या 36/2025 धारा 3/25 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर अभियुक्त को न्यायालय भेज दिया।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि पुलिस इस तरह की गिरफ्तारियां करके केवल छोटे अपराधियों पर शिकंजा कस रही है, जबकि हथियार सप्लाई करने वाले बड़े अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं। यदि पुलिस वाकई अपराध पर अंकुश लगाना चाहती है, तो उसे इस तस्करी की जड़ तक पहुंचना होगा।

क्यों नहीं हो रही गहन जांच?

अवैध शस्त्रों के बढ़ते मामलों के बावजूद पुलिस इस पर गहराई से जांच करने से बच रही है। हर गिरफ्तारी के बाद मामला वहीं खत्म हो जाता है।

1. अपराधी तक हथियार कैसे पहुंचते हैं?

2. कौन इन शस्त्रों की सप्लाई कर रहा है?

3. क्या जिले में कोई अवैध शस्त्र निर्माण फैक्ट्री चल रही है?

4. पुलिस किन कारणों से इस नेटवर्क को तोड़ने में नाकाम हो रही है?

 

यदि पुलिस वाकई अपराध रोकने के प्रति गंभीर है, तो उसे तमंचा लेकर घूमने वालों को पकड़ने के बजाय उन लोगों तक पहुंचना होगा जो हथियारों की तस्करी और निर्माण में शामिल हैं। वरना, यह कार्रवाई केवल कागजी कार्रवाई बनकर रह जाएगी और अपराधियों के हौसले यूं ही बुलंद होते रहेंगे।

 

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