शराब और जुए के दुष्प्रभाव: सरकार की लचर नीतियों का परिणाम- 31 वर्षीय महिला दयावती ने अपने जीवन का अंत कर लिया

शराब और जुए के दुष्प्रभाव: सरकार की लचर नीतियों का परिणाम

हमीरपुर जनपद के राठ क्षेत्र के मुस्करा थाना अंतर्गत बंडवा गांव में घटी एक दिल दहला देने वाली घटना ने समाज और शासन दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शराब और जुए की लत के चलते एक 31 वर्षीय महिला दयावती ने अपने जीवन का अंत कर लिया। इस घटना ने न केवल एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि यह भी बताया कि हमारी सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था कितनी कमजोर है।

सरकार की विफलता

शराब और जुआ जैसी सामाजिक बुराइयों पर रोक लगाने में सरकार की नाकामी साफ नजर आती है। राजस्व बढ़ाने के नाम पर शराब के ठेकों को खुली छूट देना और जुए के अड्डों पर लगाम न लगाना समाज में ऐसे दुष्परिणामों को बढ़ावा दे रहा है। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार शराब और जुए की वजह से बर्बाद हो रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

एक परिवार का दर्दनाक अंत

दयावती जैसी महिलाओं का जीवन उन पतियों की वजह से नरक बन जाता है, जो शराब और जुए की लत में अपने परिवार की खुशियां दांव पर लगा देते हैं। दयावती के पति राजेंद्र की जुए और शराब की लत ने न केवल परिवार को आर्थिक तंगी में झोंक दिया, बल्कि उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का भी शिकार बनाया। नतीजतन, एक मां ने अपने तीन बच्चों को रोते-बिलखते छोड़कर आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया।

सरकार की नीतियों पर सवाल

सरकार द्वारा शराब की बिक्री से होने वाली आय को विकास के नाम पर सही ठहराया जाता है, लेकिन यह कितना न्यायसंगत है? ऐसे मामलों में सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ शराब और जुआ पर टैक्स बढ़ाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इन बुराइयों को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए।

समाज को जागरूक करने की जरूरत

सरकार की विफलता अपनी जगह है, लेकिन समाज के लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। ऐसे मामलों में महिलाओं को सहायता प्रदान करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। इसके अलावा, शराब और जुआ जैसी बुराइयों के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाने की सख्त जरूरत है।

यह घटना महज एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। सरकार और समाज को मिलकर इन बुराइयों के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि भविष्य में दयावती जैसी महिलाओं को अपनी जान न गंवानी पड़े।

 

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