शस्त्र अबैध देश में जारी, मिलत सरलता भारी हैं।

🥀ताटंक छंद🥀
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शस्त्र अबैध देश में जारी,
मिलत सरलता भारी हैं।
सोना सुहागा हुए तमंचे,
शस्त्र खजाना धारी हैं।।
अपराधी गलियों में डोलें,
करते भारी रारी हैं।
कारतूस कि कमी इन्हें ना,
देख काल की पारी है।।
शस्त्र अबैध–
सुरा सिंधु की बात करें क्या,
सुरा नीर उफनाई है।
मदिरा का मद सरपै छाया,
पापाचारी छाई है।।
लोग घूमते गलियों में अब,
वेरुजगारी भाई है।
नैतिकता भूली हैं सबरी,
तनक शर्म ना आई है।।
शस्त्र अबैध—-
जनता की का बात चलावें,
ठेका डग डग पाये हैं।
घर वरवाद हुये हैं कइयक,
हाय गरीव गहाये हैं।।
प्रभु पग देश बचालो प्यारे,
नैना देख वहाये हैं।
कौल करो अब ई धंदन को,
अपनो देश नशाये हैं।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

 

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