महोबा: 38 साल बाद भी अनसुलझी पहेली बनी जुगल किशोर मूर्ति चोरी कांड-गाँव के जिम्मेदार क्यों हैं मौन
महोबा: 38 साल बाद भी अनसुलझी पहेली बनी जुगल किशोर मूर्ति चोरी कांड-गाँव के जिम्मेदार क्यों हैं मौन
महोबा जिले के सुगिरा गांव में 38 वर्ष पूर्व घटी जुगल किशोर मंदिर की मूर्ति चोरी का मामला आज भी एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है। गाँव के इस ऐतिहासिक मंदिर से भगवान जुगल किशोर की दुर्लभ मूर्ति चोरी हो गई थी, लेकिन इतने साल बीत जाने के बावजूद, न तो इस चोरी की गुत्थी सुलझ सकी और न ही मूर्ति का कोई पता चल पाया। यह घटना सिर्फ धार्मिक महत्व का मामला नहीं, बल्कि गाँव की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी एक बड़ी क्षति है।
गाँव के जिम्मेदार क्यों हैं मौन?
गाँव के जनप्रतिनिधियों और मंदिर समिति की रहस्यमय चुप्पी ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है। मंदिर समिति और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सवाल यह उठता है कि क्या यह उनकी उदासीनता है, या फिर कहीं कोई दबाव या साजिश है?
स्थानीय मीडिया की चुप्पी का कारण
स्थानीय मीडिया ने भी इस मामले को नजरअंदाज कर रखा है। यह समझ से परे है कि इतने बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक मामले पर मीडिया ने कोई गंभीरता क्यों नहीं दिखाई। क्या यह किसी प्रभावशाली व्यक्ति या समूह का दबाव है, या फिर मीडिया ने इसे एक “पुराना मामला” मानकर छोड़ दिया?
मामले की गंभीरता
जुगल किशोर मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र था, बल्कि यह गाँव की पहचान का प्रतीक भी था। मूर्ति के चोरी होने से न केवल ग्रामीणों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक धरोहर पर भी आघात था।
क्या हो सकता है समाधान?
1. पुनः जांच की मांग: सरकार से इस मामले की सीबीआई या विशेष जांच कराने की अपील की जानी चाहिए।
2. जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी: जनप्रतिनिधियों को इस मुद्दे पर खुलकर बोलना होगा और इसे अपने एजेंडे में शामिल करना होगा।
3. जनजागरण अभियान: गाँव और आसपास के क्षेत्रों में जनजागरण अभियान चलाकर इस मुद्दे पर एकजुटता दिखानी होगी।
4. मीडिया की भूमिका: मीडिया को इस मामले को प्रमुखता से उठाना चाहिए ताकि इसके पीछे के कारण और सच्चाई सामने आ सके।
ग्रामीणों की उम्मीदें
सुगिरा गाँव के लोग अब भी इस बात की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि एक दिन उनकी मूर्ति उन्हें वापस मिलेगी। यह केवल एक धार्मिक मूर्ति नहीं, बल्कि उनकी आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
निष्कर्ष:
जुगल किशोर मूर्ति चोरी कांड 38 साल बाद भी सुगिरा गाँव के लिए एक ऐसा घाव है, जो आज भी हरा है। अगर समय रहते इस मामले को गंभीरता से लिया जाए, तो न केवल चोरी की सच्चाई सामने आ सकती है, बल्कि गाँव की खोई हुई धरोहर भी वापस आ सकती है।