मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल: फर्जी निस्तारण का केंद्र बनता जा रहा है
मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल: फर्जी निस्तारण का केंद्र बनता जा रहा है
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनता की समस्याओं को सुनने और उनका निस्तारण करने के लिए शुरू किया गया मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल अब भ्रष्टाचार और फर्जी निस्तारण का प्रतीक बनता जा रहा है। महोबा जिले के सुगिरा गांव में 38 वर्ष पूर्व घटित जुगल किशोर मूर्ति चोरी कांड इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है।
घटना का इतिहास
सुगिरा गांव के प्रसिद्ध मंदिर से 38 वर्ष पहले जुगल किशोर भगवान की मूर्ति चोरी हो गई थी। यह मामला उस समय स्थानीय निवासियों और प्रशासन के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। लेकिन इतने वर्षों बाद भी, यह मामला न केवल लंबित है, बल्कि अब जनसुनवाई पोर्टल पर इसे फर्जी तरीके से निस्तारित दिखा दिया गया है।
फर्जी निस्तारण का खेल
जांच और कार्रवाई के नाम पर केवल फर्जी रिपोर्ट तैयार कर दी गई। कई बार इस मामले की शिकायत की गई, लेकिन हर बार पोर्टल पर गलत और भ्रामक आख्या डालकर इसे निस्तारित बता दिया गया। इस तरह की घटनाएं यह साबित करती हैं कि जनसुनवाई पोर्टल अब जनता की समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें दबाने का जरिया बन गया है।
जनसुनवाई पोर्टल पर उठते सवाल
1. भ्रष्टाचार का अड्डा: शिकायतों को बिना गहराई से जांचे फर्जी निस्तारित करना।
2. पारदर्शिता की कमी: पोर्टल पर दी गई जानकारी और वास्तविकता में बड़ा अंतर।
3. लोगों का भरोसा खत्म: बार-बार फर्जी रिपोर्ट डालने से जनता का विश्वास टूट रहा है।
4. कार्रवाई का अभाव: अधिकारियों और जिम्मेदार व्यक्तियों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
लोगों का आक्रोश
सुगिरा गांव के निवासियों का कहना है कि जब इतने पुराने और गंभीर मामलों को इस तरह नजरअंदाज किया जा रहा है, तो छोटी-मोटी शिकायतों का क्या हाल होगा? जनसुनवाई पोर्टल से जनता का विश्वास अब खत्म हो रहा है।
मांगें और समाधान
1. स्वतंत्र जांच समिति: फर्जी निस्तारण वाले मामलों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
2. पारदर्शिता सुनिश्चित हो: सभी रिपोर्ट और निस्तारण प्रक्रिया जनता के लिए सुलभ हो।
3. जिम्मेदारी तय हो: फर्जी आख्या डालने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
4. फिर से निस्तारण: पुराने लंबित मामलों को दोबारा जांच के लिए खोला जाए।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल जनता की समस्याओं को हल करने के लिए बनाया गया था, लेकिन आज यह भ्रष्टाचार और फर्जी निस्तारण का केंद्र बन चुका है। अगर सरकार ने समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया, तो इससे न केवल प्रशासनिक व्यवस्था कमजोर होगी, बल्कि जनता का सरकार पर से विश्वास भी पूरी तरह खत्म हो जाएगा।