संकट-हरण गणेश जी, हरलो भीषण-कष्ट।

दोहा
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1-
संकट-हरण गणेश जी,
हरलो भीषण-कष्ट।
बैर-भाव जो-भी रखे,
करदो तत्क्षण-नष्ट।।
2-
सिद्ध-करो हर कामना,
श्री गणपति भगवान।
सेवक-चमके सूर्य सा,
दो-ऐसा वरदान।।
3-
धूम्रकेतु उर-में रहो,
शिव-गौरा के साथ।
आया-सेवक द्वार पे,
रखो-शीश पर हाथ।।
4-
भालचंद्र जी आइये,
रिद्धि-सिद्धि के साथ।
सुख-संपति भी लाइये,
घर-में-दीनानाथ।।
5-
पूजा-विधि से हीन है,
गजमुख-तेरा लाल।
कृपा-आज ऐसी करो,
मिले-दर्श तत्काल।।
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प्रभुपग धूल

 

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