उत्तर प्रदेश में अपराध और अवैध शस्त्रों का गढ़: पुलिस और सरकार की लापरवाही पर सवाल-फिर एक अपराधी अबैध शस्त्र व कारतूस के साथ गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश में अपराध और अवैध शस्त्रों का गढ़: पुलिस और सरकार की लापरवाही पर सवाल-फिर एक अपराधी अबैध शस्त्र व कारतूस के साथ गिरफ्तार

प्रवीण कुमार (ब्यूरो प्रमुख)

उत्तर प्रदेश में अवैध शस्त्रों का गढ़ बन चुके क्षेत्रों में अपराधियों की गिरफ्तारी और अवैध शस्त्र कारखानों की बढ़ती संख्या ने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस द्वारा अपराधियों को गिरफ्तार करने का सिलसिला जारी है, लेकिन यह सवाल बरकरार है कि आखिर इन अवैध शस्त्रों के स्रोतों तक पुलिस क्यों नहीं पहुंच पा रही है?

अवैध शस्त्रों की खुली उपलब्धता

प्रदेश में अवैध शस्त्र कारखानों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। इन कारखानों से अपराधियों को आसानी से अवैध हथियार और कारतूस मिल रहे हैं, जो गंभीर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में उपयोग हो रहे हैं। बावजूद इसके, पुलिस और प्रशासन इन स्रोतों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई करने से कतराते नजर आ रहे हैं।

महाकुंभ 2025 के दौरान अपराध नियंत्रण की चुनौतियां

महाकुंभ 2025 के मद्देनजर पुलिस अधीक्षक महोबा पलाश बंसल के निर्देशन में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में थाना अजनर पुलिस ने बहादुर यादव नामक अपराधी को गिरफ्तार किया। उसके पास से एक अवैध 12 बोर की बंदूक और दो जिंदा कारतूस बरामद हुए। इस गिरफ्तारी से यह स्पष्ट होता है कि अपराधियों के पास हथियारों की उपलब्धता आसान है।

पुलिस की कार्रवाई और विफलता

पुलिस ने बहादुर यादव के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज किए हैं, जिनमें हत्या, लूट और गुंडा एक्ट शामिल हैं। बावजूद इसके, ऐसे अपराधी खुलेआम घूमते रहे और अवैध हथियारों का उपयोग कर अपराध करते रहे। यह पुलिस की विफलता को उजागर करता है।

सरकार की चुप्पी और बेरोजगारी की मार

अवैध शस्त्रों और बढ़ते अपराधों पर प्रदेश सरकार का मौन रहना बेहद चिंताजनक है। बेरोजगारी और तंगहाली के कारण लोग ऐसे काले धंधों में शामिल हो रहे हैं, जिसे सरकार नजरअंदाज कर रही है।

पुलिस और सरकार की घोर निंदा

यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक पुलिस और सरकार अपराधों के पीछे की असली जड़ों को नजरअंदाज करती रहेगी? अवैध शस्त्रों की रोकथाम और इनके स्रोतों को समाप्त करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं?

सरकार और पुलिस को चाहिए कि वे केवल गिरफ्तारियों तक सीमित न रहें, बल्कि अवैध शस्त्र निर्माण और तस्करी के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करें। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो उत्तर प्रदेश में अपराध और अराजकता का माहौल और भी भयावह हो सकता है।

 

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