महोबा: अपराधियों पर शिकंजा या पुलिस की लापरवाही? अवैध शस्त्रों का कारोबार सवालों के घेरे में
महोबा: अपराधियों पर शिकंजा या पुलिस की लापरवाही? अवैध शस्त्रों का कारोबार सवालों के घेरे में
महोबा जनपद में अवैध शस्त्रों और उनके साथ पकड़े गए अपराधियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो क्षेत्र में संचालित अवैध शस्त्र कारखानों की ओर इशारा कर रही है। हालांकि, पुलिस प्रशासन अब तक यह पता लगाने में असफल रहा है कि ये हथियार आखिरकार अपराधियों तक कैसे पहुंच रहे हैं। यह स्थिति पुलिस के कार्यशैली और उनकी जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
ताजा मामला महोबा नगर कोतवाली क्षेत्र का है, जहां पुलिस ने 06 जनवरी 2025 को चेकिंग के दौरान चार युवकों को अवैध तमंचा और जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया। पकड़े गए अभियुक्तों में राहुल कुशवाहा (21), अंकित सिंह (19), आकाश सिंह (23), और विकास सिंह (19) शामिल हैं। इनके पास से 02 तमंचे और 06 जिंदा कारतूस बरामद किए गए। पुलिस ने इनके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज कर न्यायालय में पेश किया है।
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
हालांकि, पुलिस ने इन अपराधियों को पकड़ने का दावा किया है, लेकिन यह सवाल अब भी बरकरार है कि इन हथियारों का स्रोत क्या है? पुलिस अब तक यह पता लगाने में असमर्थ रही है कि इन अवैध तमंचों की आपूर्ति कहां से हो रही है। क्या पुलिस अवैध शस्त्र कारखानों तक पहुंचने से कतराती है, या फिर इन पर कार्रवाई करने से बच रही है?
अपराधियों के हौसले बुलंद
अवैध शस्त्रों का इस प्रकार उपलब्ध होना और उनका उपयोग अपराधों में किया जाना, महोबा में बढ़ते अपराध के ग्राफ को दर्शाता है। पुलिस की जिम्मेदारी न केवल अपराधियों को पकड़ने की है, बल्कि अपराधों के स्रोत और नेटवर्क का भी पता लगाना है। लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस केवल सतही कार्यवाही करके अपनी पीठ थपथपा रही है।
जिम्मेदार कौन?
अवैध शस्त्रों की बढ़ती घटनाओं से स्थानीय जनता में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। सवाल यह है कि क्या पुलिस अधीक्षक पलाश बंसल और उनकी टीम इन मामलों की गहराई तक जाकर कार्रवाई करेंगे, या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
जनता को सुरक्षित माहौल देने और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस प्रशासन को अपनी कार्यशैली में सुधार करना होगा। वरना, यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की नाकामी का प्रतीक बन जाएगी।
प्रवीण कुमार(ब्यूरो प्रमुख)