सुगिरा/महोबा: अनदेखी के कारण राजा राव महीपत जु देव का ऐतिहासिक किला धरासायी होने की कगार पर
सुगिरा/महोबा: अनदेखी के कारण राजा राव महीपत जु देव का ऐतिहासिक किला धरासायी होने की कगार पर
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के सुगिरा गांव में स्थित राजा राव महीपत जु देव का ऐतिहासिक किला आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यह किला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले योद्धाओं में से एक राव महीपत जु देव के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। लेकिन पुरातत्व विभाग और जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह ऐतिहासिक धरोहर अब जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी है और धराशायी होने के कगार पर है।
इतिहासिक महत्व
राजा राव महीपत जु देव का यह किला 16वीं शताब्दी में बना था और बुंदेलखंड की वीरगाथाओं का साक्षी रहा है। राव महीपत जु देव ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विदेशी शासकों और आक्रमणकारियों के खिलाफ अदम्य साहस और पराक्रम का प्रदर्शन किया। यह किला उनकी बहादुरी और देशभक्ति का एक जीता-जागता उदाहरण है।
वर्तमान स्थिति
किले की दीवारें दरक चुकी हैं, पत्थर गिरने लगे हैं, और जगह-जगह पेड़ों और झाड़ियों ने इसकी खूबसूरती को ढंक लिया है। बारिश और समय के प्रभाव ने किले के आधारभूत ढांचे को कमजोर कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते यदि इस धरोहर को संरक्षित नहीं किया गया, तो यह इतिहास का एक अमूल्य हिस्सा हमेशा के लिए खो जाएगा।
प्रशासनिक अनदेखी
ग्रामीणों ने कई बार पुरातत्व विभाग और स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर किले की मरम्मत और संरक्षण की मांग की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के कारण यह ऐतिहासिक स्थल धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रहा है।
स्थानीय लोगों की चिंता
सुगिरा गांव के निवासियों का कहना है कि यह किला न केवल हमारे इतिहास और संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह पर्यटन को बढ़ावा देने में भी सहायक हो सकता है। यदि सरकार और प्रशासन उचित ध्यान दें, तो इस किले को संरक्षित करके इसे एक प्रमुख पर्यटक स्थल में बदला जा सकता है।
अपील
ग्रामीणों और इतिहासकारों ने पुरातत्व विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की है कि वे इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाएं। किले की मरम्मत और संरक्षण कार्य शुरू करने से न केवल इसे संरक्षित किया जा सकेगा, बल्कि यह युवा पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने में भी सहायक होगा।
अगर समय रहते यह किला संरक्षित नहीं किया गया, तो यह भारतीय इतिहास का एक और अनमोल अध्याय खो जाएगा। प्रशासन और जनता को मिलकर इसे बचाने की दिशा में पहल करनी होगी।