दर दर ठोकर कृषक खावें, नदियाँ नयनन बहतीं हैं।

🥀लावड़ी छंद🥀
विषय-किसान
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दर दर ठोकर कृषक खावें,
नदियाँ नयनन बहतीं हैं।
बड़ी मुसीवत फांसी झूलें,
खेत फली ना पलतीं हैं।।
देख मुसीवत सिरपै भारी,
सरकी बातें खलतीं हैं।
खेत किसान सड़क पै डोलै,
करनी उनको खलतीं हैं।।
दर दर—
खेती को ना रहो ठिकानों,
मिलत नीक ना पानी है।
मिलो सहारो ना बिजली को,
सबकी जानी मानी है।।
होय गुजारो नहीं देश में,
अपराधिक छल छानी है।
भारत बंद किसान करें अब,
डेट आठ पहिचानी है।।
दर दर —
नीक नहीं कानून हिन्द को,
आंदोलन लख जारी है।
हल चल हिन्द देश में देखो,
कृषक आत्मा हारी है।।
युध्द कला ना आती इनको,
लेकिन जान हमारी है।
अब तो मोदी होश सँभालो,
शक्ती कृषक भारी है।।
दर दर—
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

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