मुस्करा ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की कहानी

मुस्करा ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की कहानी

जयनारायण वर्मा

हमीरपुर जिले के विकास खंड मुस्करा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मुस्करा में विकास कार्यों के नाम पर भ्रष्टाचार की एक गंभीर तस्वीर उभरकर सामने आई है। स्थानीय ग्रामीणों से मिली जानकारी और सरकारी दस्तावेजों के आधार पर पता चला है कि ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग कर विकास कार्यों को केवल कागजों पर दिखाया गया है।

क्या है मामला?

ग्राम पंचायत मुस्करा को राज्य सरकार की विभिन्न विकास योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया गया। यह धनराशि प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय निर्माण, सड़क निर्माण, नाली सफाई, और गोवंश सुरक्षा जैसी योजनाओं के लिए दी गई थी। लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ियां पाई गईं।

1. ग्राम प्रधान की संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि:
ग्राम प्रधान द्वारा पंचवर्षीय कार्यकाल के दौरान दो भव्य तीन मंजिला मकान का निर्माण कराया गया।
राजधानी लखनऊ में करोड़ों रुपए के प्लॉट खरीदे गए।
एक बुलेट मोटरसाइकिल, चार पहिया वाहन, और दो ट्रैक्टर जैसे महंगे वाहन भी खरीदे गए।

2. विकास कार्यों में लापरवाही:

खराब हैंडपंप महीनों से जस के तस पड़े हैं।

नालियां और सड़कों की सफाई नहीं हो रही।

सोलर लाइटें और खंभे गायब हो चुके हैं।

सड़कें और कूड़ेदान खस्ताहाल हैं।

 

3. फर्जी भुगतान और कागजी विकास कार्य:
सरकारी योजनाओं के तहत आवंटित धन को फर्जी कागजात बनाकर निकाला गया।
स्थानीय अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों की मिलीभगत से कागजों पर ही विकास कार्यों को पूरा दिखाया गया।

 

जिला प्रशासन की उदासीनता

दिनांक 7 अगस्त 2024 को आयोजित समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी ने इन गड़बड़ियों की ओर इशारा किया था। खंड विकास अधिकारी को नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन आज तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

मुख्य सवाल

1. ग्राम प्रधान ने नामांकन के दौरान अपनी संपत्ति कितनी घोषित की थी?

2. ग्राम प्रधान को मासिक वेतन कितना दिया जाता है?

3. किन-किन योजनाओं का कितना बजट था और किस संस्था के माध्यम से कार्य कराया गया?

4. पंचवर्षीय कार्यकाल में सरकार से कितनी धनराशि मिली और उसका उपयोग कहां हुआ?

5. अब तक ग्राम पंचायत में कितने विकास कार्य पूरे हुए हैं?

 

क्या हो अगला कदम?

मुस्करा ग्राम पंचायत की स्थिति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस” की नीति को चुनौती देती है। इस मामले में निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

जांच आयोग का गठन: सरकारी धन के दुरुपयोग की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग बनाया जाए।

जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई: स्थानीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो।

जनता से संवाद: गांव के लोगों की शिकायतें सुनकर समस्याओं का समाधान किया जाए।

निष्कर्ष:
मुस्करा ग्राम पंचायत में हुए इस कथित भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई से ही ग्रामीणों का विश्वास दोबारा बहाल हो सकता है। फिलहाल, यह मामला जांच का विषय बना हुआ है और सरकार से ठोस कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।

 

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