न्याय दिवश–कानून के हाथ वौने हो रहे सावित

🥀मनहरण घनाक्षरी🥀
विषय-
न्याय दिवश–कानून के हाथ वौने हो रहे सावित
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न्याय दिवश आयो है,आश मन लगायो है,
लो न्याय नहिं पायो है,मन तरसायो है।
वो पाप मेघ छायो है,मनहिं नहिं भायो है, आ वेवश करायो है,जिया उकलायो है।।
हृदय लोभ आयो है,मूरत को चुरायो है।
पकड़ नहीं पायो है,मन घबरायो है।
जुआ खूब खेलत है,मदिरा भी पियत है,
घंटन पै नियत है,छोर घर लायो है।।
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ये वौने लखावत हैं,जे बातें बनावत हैं,
पकड़ ना पावत हैं,चोरीं करावत हैं।
सालन वितावत हैं,कागज मिटावत हैं,
जे गूंगे दिखावत हैं,नक्शे बनावत हैं।।
खबरें सुनावत हैं,जैतपुर आवत हैं,
जे घंटा छुरावत हैं,छोर घर लावत हैं।
सुगिरा भुलावत हैं,मीडिया बतावत हैं,
सोच न समावत हैं,पापी पलावत हैं।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

 

 

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