जलहरण घनाक्षरी
जलहरण घनाक्षरी
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विधान–
32 वर्णों के चार समतुकांत चरण, 16, 16 वर्णों पर यति अनिवार्य
8, 8, 8, 8 पर यति उत्तम,
पदांत में लल अर्थात् लघु-लघु अनिवार्य।
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1-
बनकर झाड़ू माँ की,
कचड़ा करूँगा साफ,
साफ कर मन-मैला,
शुद्ध करूँ तन-मन।
साफ करूँ रोग-दोष,
पाप दोष साफ करूँ,
भ्रष्टता को साफ करूँ,
सुखी रहें जन-जन।।
दीनता को साफ करूँ,
साफ करूँ हीनता को,
धूर्तता को साफ करूँ,
बाँटकर ज्ञान धन।।
नाच उठे मन मोर,
लख के शुचित भोर,
साफ कर सभी चोर,
धन्य हुआ मेरा तन।।
2-
गाँव-गाँव स्वच्छ कर,
शहरों को स्वच्छ कर
कस्वों को शुचित कर,
स्वच्छ करूँ घर-घर।
स्वच्छ करूँ जमुना को,
स्वच्छ करूँ गंगा जी को,
विमला को स्वच्छ करूँ,
खुशी रहे जीव कर।।
बनकर झाड़ू माँ की,
काम करो मेरे साथ,
कचड़े में रहकर,
मत घुट-घुट मर।
बनकर झाड़ू वाला,
प्रभुपग आये आज,
करेगा सफाई कर्म,
कहकर हर-हर।।
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प्रभुपग धूल