छक्के छुड़ा दिये दुश्मन के, झाँसी वाली रानी थी।।
🥀ताटंक छन्द🥀
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हिन्द देश की वीर शेरनी,
रण में हार न मानी थी।
छक्के छुड़ा दिये दुश्मन के,
झाँसी वाली रानी थी।।
चम चम चम तलवार चमकती,
नदियाँ खून वहानी थी।
दौनों कर तलवार चलाई,
तन पर छाई जवानी थी।।
हिन्द देश—-
घिरी हुईं थीं समर बीच वो,
विल्कुल ना घबरानी थी।
चीर रही दुश्मन के सीने,
झाँसी कि महारानी थी।।
देख युध्द कौशल रानी का,
सेना सब दहलानी थी।
तेगा रकत वरन था कर में,
छाई तन मरदानी थी।।
हिन्द देश–
वैरी दल हावी था भारी,
मर मिटने की ठानी थी।
हाथ लगे ना तन दुश्मन के,
बोली ऐसी वानी थी।।
सिर पर वार किया वैरी ने,
गहरी चोट समानी थी।
प्रभु पग शीश झुकाते तुमको,
रण में जान गवानी थी।।
हिन्द देश—
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश